Friday, May 19, 2017

Ganga: The Mother-मां गंगा


Flow of ganga in vashitha gufa Rishikesh

ऋषिकेश ने हमेशा लोगों को अपने पास बुलाया है चाहे वह संत फकीर हो या बीटल जैसे रॉकस्टार. यहां हर किसी ने अपने भगवान को ढूंढा और हर किसी ने उसे कुदरत के रूप में पाया.

बहुत सारे विदेशियों ने भी ऋषि को इसको अपना घर बना लिया है अपना देश छोड़कर ऋषिकेश की वादियों में सालों से कितनी ही विदेशी रह रहे हैं. गंगा की आध्यात्मिकता इतनी है कि लोगों ने अपने नाम तक बदल लिए. इतनी शांति और कहां?

ऋषिकेश की शाम और कहीं नहीं मिलेगी. शाम होते ही लोग घाटों की तरफ खिंचे चले आते हैं. बहुत सारे वैज्ञानिक प्रयोग किए गए हैं यहां पर. गंगा अपने साथ भावना, विचार, धर्म को संजो कर रखती है इसके साथ बहुत सारी यादें जुड़ी हुई गंगा केवल पानी नहीं है उसमें जीवन है, उसमें स्मरणशक्ति है, हमारा किया गया स्नान, हमारा किया गया ध्यान, हमारा किया गया दान वह सब उस पानी के साथ सदियों से बह रहा है.
इस नदी के किनारे कितने ही शास्त्र रचे गए. इस जीवंतता ने गंगा को भारत के हर व्यक्ति से जोड़ कर रखा है. बिना भेदभाव के अविरल बहती गंगा न जाने कितनों का कल्याण करती हुई, बिना रुके सदियों से बह रही है. हम न जाने कितने ही अपराध गंगा पर करते हैं किंतु गंगा हमेशा से हमें क्षमा करती आ रही है इसीलिए भारत में  गंगा को  माता कह कर बुलाते हैं. गंगा में  हम कूड़ा कचरा  फेंकते हैं, न जाने कितने नाले  गंगा में विलीन हो जाते हैं और न जाने कितनी तरह की गंदगी हम रोज  इस नदी में प्रवाहित करते हैं पर वह मातामई हम पर हमेशा कृपा ही बरसाती रहती है.


हम इंसान अपने अधिकारों की कितनी ही बात करते हैं और अपने अधिकारों के लिए न जाने कितने के अधिकारों का हनन करते हैं. जिस तरह हमारे अधिकार है वैसे ही और लोगों के भी तो अधिकार हैं. ऊपर वाले ने सिर्फ हमें ही तो नहीं बनाया. यहां धरती सबकी है तो हमें किसने अधिकार दिया कि अपने लिए अपने स्वार्थ के लिए हम दूसरों का दोहन करें, प्रताड़ना  दे? वसुधैव कुटुंबकम की बात हमारे पूर्वज कब से करते आ रहे हैं वसुधैव कुटुंबकम सिर्फ इंसानों के लिए नहीं है. यह पूरा विश्व ही हमारा परिवार है. इंसान ही नहीं, पशु, पक्षी वनस्पतियां, नदियां, पर्वत यह सब हमारा परिवार है. इसका अर्थ यही है, अपने लिए नहीं, अपनों के लिए नहीं, सबके लिए जिए यही धर्म है और यही मुक्ति का मार्ग भी. गंगा भी हमें यही सिखाती है इसीलिए गंगा को मां का दर्जा दिया गया है 'यह कल-कल छल-छल बहती क्या कहती गंगा धारा युग युग से बहता आया यह पुण्य प्रवाह हमारा. '

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