रजिस्ट्रेशन से संबंधित कुछ खास बातें:
सरकार ने एच एस एन (HSN Code) कोड की पूरी डायरेक्ट्री बना रखी है जिसमें आपको अपने बिजनेस का कोड क्या है? यह जानकारी मिलेगी यह एच एस एन (HSN Code) कोड आपको रजिस्ट्रेशन करते समय उपयोग में लाना है. आपको अगर कोई परेशानी हो रही है तो आप जीएसटी के हेल्पलाइन 18001039271 पर फोन करके सहायता प्राप्त कर सकते हैं.
सरकार ने 1 जुलाई 2016 से जीएसटी लागू करने की योजना बनाई है किंतु इन व्यापारियों की सुविधाओं का समाधान अगर नहीं किया गया तो यह लक्ष्य बहुत मुश्किल प्रतीत होता है.
ट्रांसपोर्टर्स को होने वाली परेशानियां:
जीएसटी के तहत बिना यूनिक आईडी के माल ढुलाई करना संभव नहीं होगा क्योंकि हर ट्रांसपोर्ट अधिकारी के पास एक खास उपकरण होगा जिसमें यूनिक आईडी डालने पर सामान और गाड़ी की पूरी जानकारी उपलब्ध हो जाएगी. इस तरह से इस उपकरण के सहारे अधिकारिया जांच कर सकते हैं की धुलाई किए गए सामान पर टैक्स दिया गया है या नहीं.
जीएसटी लागू होने के बाद निर्यात करने वालों की समस्याएं बढ़ सकती हैं एक अनुमान के अनुसार इसके लागू होते ही निर्यातकों को करीब डेढ़ लाख करोड रुपए टैक्स के रूप में चुकाने पढ़ सकते हैं. जिससे उनका वर्किंग कैपिटल अटक सकता है अगर निर्यातको ने बैंक से लोन लेकर निर्यात शुरु किया है तो उन पर ब्याज का बोझ भी बढ़ सकता है. हालांकि जीएसटी के वर्तमान नियम के अनुसार निर्यात की प्रक्रिया पूरी होने के बाद निर्यातको को 7 दिन के भीतर चुकाया गया टैक्स वापस कर दिया जाएगा. लेकिन एक्सपोर्टर्स का मानना है इस 7 दिन के भीतर रिफंड मिलना बहुत मुश्किल है क्योंकि टैक्स रिफंड की शर्ते बहुत कठिन है.
इसे भी पढ़ें: कैसे कराएं जीएसटी रजिस्ट्रेशन
जीएसटी का स्मार्ट फोन पर असर:
जीएसटी लगने के बाद विदेशी स्मार्टफोन महंगे होने जा रहे हैं. सरकार चाहती है कि स्मार्ट फोन के मार्केट में मेक इन इंडिया को लाया जाए इसलिए विदेशी स्मार्टफोन आयात पर कस्टम ड्यूटी लगाने का निश्चय किया गया है. इसके लिए कमेटी भी बनाए जा चुकी है. इस समय देश में फोन बाजार में 60% स्मार्टफोन का कब्जा है और स्मार्टफोन बाजार का 30 प्रतिशत चीन के कब्जे में है.
- आपका कारोबार कई राज्यों में है तो आपको हर राज्य में रजिस्ट्रेशन कराना होगा.
- दूसरा अगर आप एक से ज्यादा कारोबार करते हैं तो आपको अलग-अलग सभी तरह के कारोबार का रजिस्ट्रेशन कराना होगा.
- एक पैन कार्ड पर सिर्फ एक ही जीएसटी रजिस्ट्रेशन नंबर मिलेगा.
होने वाली परेशानियां:
जीएसटी में रजिस्ट्रेशन के दौरान कारोबारियों को कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.- कई बार आपको एच एस एन (HSN) नंबर नहीं मिल पा रहा है.
- बैंकों को सेंट्रलाइज रजिस्ट्रेशन में दिक्कत आ रही है. क्योंकि रजिस्ट्रेशन करने के लिए आपको 10 से 15 मिनट का सेशन मिलता है जोगी सारी जानकारियां भरने के लिए पर्याप्त नहीं है.
- इसी तरह लोगों को फॉर्म भरने के बाद मोबाइल पर ओटीपी (OTP) आने में 2- 2 घंटे की देरी हो रही है इतनी देर में तो ऑनलाइन सेशन खत्म हो जाता है.
- जिन लोगों के कई सारे बिजनेस हैं उनको अपना प्रिंसपल बिजनेस ( मुख्य कारोबार) बताना पड़ता है. जिसका अनुमान लगाना यह बताना कई बार कठिन हो रहा है.
जरूरी उपाय:
सरकार को चाहिए कि जीएसटी में रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया बदली जाए जैसे कि आप ऑफलाइन डॉक्यूमेंट बनाकर उसे ऑनलाइन जमा (submit) कर सकें. आइए आपको बताते हैं एच एस एन (HSN Code) कोड क्या है?सरकार ने एच एस एन (HSN Code) कोड की पूरी डायरेक्ट्री बना रखी है जिसमें आपको अपने बिजनेस का कोड क्या है? यह जानकारी मिलेगी यह एच एस एन (HSN Code) कोड आपको रजिस्ट्रेशन करते समय उपयोग में लाना है. आपको अगर कोई परेशानी हो रही है तो आप जीएसटी के हेल्पलाइन 18001039271 पर फोन करके सहायता प्राप्त कर सकते हैं.
सरकार ने 1 जुलाई 2016 से जीएसटी लागू करने की योजना बनाई है किंतु इन व्यापारियों की सुविधाओं का समाधान अगर नहीं किया गया तो यह लक्ष्य बहुत मुश्किल प्रतीत होता है.
ट्रांसपोर्टर्स को होने वाली परेशानियां:
- अगर आप ट्रांसपोर्ट का कारोबार करते हैं और अपना सामान एक राज्य से दूसरे राज्य भेजते हैं, तो आपको यह जानकारी होनी चाहिए कि माल की ढुलाई के लिए आपको एक स्पेशल पहचान (Unique ID) की जरूरत होगी बगैर स्पेशल पहचान (Unique ID) के अगर आप माल ढुलाई करेंगे तो आपका सामान जप्त कर लिया जाएगा. यह आईडी (ID) माल ढुलाई करने वाले ट्रक ड्राइवर के पास होनी चाहिए. यूनिक आईडी आप को एक ही बार बनानी है.
- अगर आपके पास नेशनल परमिट है और आप उसके लिए यूनिट ID बनवाते हैं तो यह ID पूरे देश में मान्य होगी किंतु अगर आप स्थानीय ट्रांसपोर्टर हैं और आपने स्थानीय माल ढुलाई के लिए यूनिक ID बनवाई है तो आप अपना माल किसी अन्य राज्य में नहीं ले जा सकेंगे.
- अगर आपके पास पूरे देश में माल ढुलाई करने की अनुमति (यूनिक आईडी) है तो आपको कोई दिक्कत नहीं आने वाली. किंतु यदि आप स्थानीय ट्रांसपोर्ट पर हैं और आपको अपना सामान किसी ऐसे राज्य में ले जाना है जहां कि आपके पास परमिट नहीं है तो आपको ना सिर्फ उस राज्य की परमिट वाले ट्रांसपोर्टर को ढूंढना होगा. जब आप अपना सामान दूसरे के वाहन में लोड करेंगे तो आपको दूसरी यूनिक आईडी बनानी पड़ेगी.
- अगर माल ढुलाई करते समय आप का वाहन खराब हो जाता है और आप अपना सामान दूसरे वाहन में लोड करेंगे. आपको अपनी यूनिक आईडी भी बदलनी होगी क्योंकि यूनिक ID में सामान की जानकारी के अलावा वाहन का रजिस्ट्रेशन नंबर जैसी जानकारियां भी होती हैं. जो कि गाड़ी बदलते ही बदल जाएंगी.
- यह यूनिक आईडी या तो ट्रांसपोर्ट तो सामान भेजने वाला या फिर सामान खरीदने वाला बना सकता है
जीएसटी के तहत बिना यूनिक आईडी के माल ढुलाई करना संभव नहीं होगा क्योंकि हर ट्रांसपोर्ट अधिकारी के पास एक खास उपकरण होगा जिसमें यूनिक आईडी डालने पर सामान और गाड़ी की पूरी जानकारी उपलब्ध हो जाएगी. इस तरह से इस उपकरण के सहारे अधिकारिया जांच कर सकते हैं की धुलाई किए गए सामान पर टैक्स दिया गया है या नहीं.
जीएसटी लागू होने के बाद निर्यात करने वालों की समस्याएं बढ़ सकती हैं एक अनुमान के अनुसार इसके लागू होते ही निर्यातकों को करीब डेढ़ लाख करोड रुपए टैक्स के रूप में चुकाने पढ़ सकते हैं. जिससे उनका वर्किंग कैपिटल अटक सकता है अगर निर्यातको ने बैंक से लोन लेकर निर्यात शुरु किया है तो उन पर ब्याज का बोझ भी बढ़ सकता है. हालांकि जीएसटी के वर्तमान नियम के अनुसार निर्यात की प्रक्रिया पूरी होने के बाद निर्यातको को 7 दिन के भीतर चुकाया गया टैक्स वापस कर दिया जाएगा. लेकिन एक्सपोर्टर्स का मानना है इस 7 दिन के भीतर रिफंड मिलना बहुत मुश्किल है क्योंकि टैक्स रिफंड की शर्ते बहुत कठिन है.
इसे भी पढ़ें: कैसे कराएं जीएसटी रजिस्ट्रेशन
जीएसटी का स्मार्ट फोन पर असर:
जीएसटी लगने के बाद विदेशी स्मार्टफोन महंगे होने जा रहे हैं. सरकार चाहती है कि स्मार्ट फोन के मार्केट में मेक इन इंडिया को लाया जाए इसलिए विदेशी स्मार्टफोन आयात पर कस्टम ड्यूटी लगाने का निश्चय किया गया है. इसके लिए कमेटी भी बनाए जा चुकी है. इस समय देश में फोन बाजार में 60% स्मार्टफोन का कब्जा है और स्मार्टफोन बाजार का 30 प्रतिशत चीन के कब्जे में है.
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