भारत के सबसे बड़े सूबे के मुख्यमंत्री के रूप में योगी आदित्यनाथ ने शपथ ली है और वह आजकल सुर्खियों में हैं. आइए जानते हैं योगी आदित्यनाथ के बारे में.
योगी आदित्यनाथ का जन्म उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले जो कि उस समय उत्तर प्रदेश का ही भाग था, में 5 जून 1972 को एक राजपूत परिवार में हुआ था. उनके पिता आनंद सिंह बिष्ट एक फारेस्ट रेंजर थे. आदित्यनाथ का बचपन का नाम अजय सिंह बिष्ट है
. आदित्यनाथ ने गणित में स्नातक की उपाधि हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल यूनिवर्सिटी से प्राप्त की तथा 21 साल की छोटी सी उम्र में अपना घर बार छोड़ कर गोरखनाथ मठ, गोरखपुर उत्तर प्रदेश में जाकर संयास ले लिया. वहां पर वह महंत अवैद्यनाथ के सानिध्य में रहे. महंत अवैद्यनाथ का संबंध नाथ संप्रदाय से है और वह आजादी के बाद से ही हिंदू महासभा के सदस्य रहे हैं. महंत अवैद्यनाथ ने ही योगी आदित्यनाथ को अपना उत्तराधिकारी बनाया.
. आदित्यनाथ ने गणित में स्नातक की उपाधि हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल यूनिवर्सिटी से प्राप्त की तथा 21 साल की छोटी सी उम्र में अपना घर बार छोड़ कर गोरखनाथ मठ, गोरखपुर उत्तर प्रदेश में जाकर संयास ले लिया. वहां पर वह महंत अवैद्यनाथ के सानिध्य में रहे. महंत अवैद्यनाथ का संबंध नाथ संप्रदाय से है और वह आजादी के बाद से ही हिंदू महासभा के सदस्य रहे हैं. महंत अवैद्यनाथ ने ही योगी आदित्यनाथ को अपना उत्तराधिकारी बनाया.
आदित्यनाथ का संसद का सफर
जैसा की हमने आपको बताया कि महंत अवैद्यनाथ हिंदू महासभा से संबंध रखते थे और उसी के टिकट पर आजादी के बाद से लगातार सांसद बनकर लोकसभा आते रहे. उन्होंने भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता राम मंदिर आंदोलन के दौरान प्राप्त की तथा उसके टिकट पर भी लोकसभा पहुंचे 1998 में उन्होंने अपना उत्तराधिकारी योगी आदित्यनाथ को चुना तब से आज तक लगातार 5 बार योगी आदित्यनाथ गोरखपुर से लोकसभा के सांसद हैं( 1998 1999 2004 2009 और 2014 के इलेक्शन में)
हिंदू युवा वाहिनी का निर्माण
पहली बार लोकसभा के लिए चुने जाने के बाद योगी आदित्यनाथ ने एक युवा संगठन हिंदू युवा वाहिनी का निर्माण किया जो पूर्वी उत्तर प्रदेश में सक्रिय है. यह एक हिंदुत्ववादी संगठन है.
योगी आदित्यनाथ अपने बेहिचक लिए गए मजबूत फैसलों के लिए जाने जाते हैं और इसी के कारण वह कई सारे विवादों में भी रहे. जैसे कि 2009 में महिला आरक्षण का विरोध करना. 2007 में बीजेपी के खिलाफ ही हिंदू महासभा से अपने उम्मीदवार उतार देना, जिसने बीजेपी से उनके रिश्ते में थोड़ी बहुत खटास पैदा की. लेकिन इस दौरान भी वे RSS के चहते बने रहे. 2005 में आदित्यनाथ ने शुद्धिकरण की मुहिम चलाई जिसमें उन्होंने बहुत सारे ईसाइयों को हिंदू बना दिया. एक अनुमान के मुताबिक 1800 इसाई हिंदू बनाए गए.
उन्होंने गोरखपुर में कई सारे स्थानों के नाम, जो कि मुस्लिम नाम थे, को बदल दिया.
उनके कई सारे जनता में दिए गए वक्तव्य हैं जिससे मुस्लिम समाज के खिलाफ हिंदुओं को संगठित रहने का संदेश दिया गया. इस तरह से आदित्यनाथ की छवि एक कट्टर हिंदुत्ववादी नेता के रूप में उभरी.
2014 के लोकसभा इलेक्शन में पूर्वी उत्तर प्रदेश में उन्होंने बीजेपी की कमान संभाली और भारतीय जनतीा पार्ट की जीत में एक अहम भूमिका अदा की. उनके इसी प्रदर्शन को देखते हुए 2017 के उत्तर प्रदेश के इलेक्शन में भी उन्हें बड़ी भूमिका दी गई और उन्होंने पूरे उत्तर प्रदेश में बड़ी संख्या में रैलियां की भारतीय जनता पार्टी की विधानसभा चुनाव में हुई जीत में उनका बहुत बड़ा योगदान है. गोरखपुर से लगातार उनको मुख्यमंत्री बनाने की मुहिम चलाई गई किंतु उनकी कट्टरवादी छवि को देखते हुए किसी को भी यह एहसास नहीं था कि वह मुख्यमंत्री बन जाएंगे किंतु प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बना कर सबको चौंका दिया.
आपको बता दें कि लगातार पांच बार लोकसभा सांसद बनने के बाद भी उन्हें मोदी मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली इसका अर्थ यह भी लगाया जा सकता है कि उनकी उत्तर प्रदेश में भूमिका पहले से ही निश्चित कर दी गई थी.
मुख्यमंत्री बनने के बाद ताबड़तोड़ लिए गए फैसलों ने उनकी छवि को और बढ़ा दिया है बहुत सारे लोग उनकी तुलना प्रधानमंत्री मोदी से करने लगे हैं. चाहे वह एंटी रोमियो स्क्वायड का गठन हो, किसानों का ऋण माफ करने की बात हो, शिक्षा प्रणाली में सुधार के लिए लिए गए फैसले हो या फिर अभी-अभी ली गई खाद्य सुरक्षा योजना का फैसला हो (जोकि तमिलनाडु की तर्ज पर है). इन सभी फैसलों ने योगी की छवि को बड़ा किया है और विरोधियों को काफी हद तक शांत किया है.
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