जिन लोगों के बैंक अकाउंट में विदेशी पैसा जमा हुआ है उन्हें इस बार इनकम टैक्स रिटर्न भरते समय इस का ब्यौरा आयकर विभाग को देना इसके अलावा अगर आपको यह नहीं पता की कैसे मिल
सकता है. डिजिटल सिग्नेचर और कैसे इसका इस्तेमाल किया जाता है तो या ब्लॉग जरूर पढ़ें.
सकता है. डिजिटल सिग्नेचर और कैसे इसका इस्तेमाल किया जाता है तो या ब्लॉग जरूर पढ़ें.
सीबीडीटी बैंकों से उन खातेदारों की जानकारी मांगी है, जिनके खाते में विदेशी पैसा जमा हुआ है.
जिन लोगों को खातों में बाहर विदेशों से पैसा आता है या वह विदेश में पैसा भेजते हैं उन लोगों के लिए यह नियम लागू है.
यह नियम आखिर क्यों लाया गया?
यह नियम अमेरिका की तर्ज पर लाया गया जिसके तहत अमेरिका ने सभी देशों के साथ द्विपक्षीय समझौता किया हुआ है और जिसके अनुसार उन देशो को अपने नागरिकों की और जो विदेशी नागरिक उनके यहां हैं, की जानकारी अमेरिका को देनी होती है.
30 अप्रैल से पहले उन लोगों को जिनके खातों में बाहर से पैसा आता है या वह पैसा बाहर भेजते हैं उन्हें बैंक को अपना केवाईसी कराना पड़ेगा जिसमें उन्हें अपना रेजिडेंस स्टेटस बताना होगा मतलब वह भारत में कहां और कितने दिन रहते हैं और वह जो पैसा भेज रहे हैं या प्राप्त कर रहे हैं उसका उद्देश्य क्या है वैसे तो बैंकों ने सबकी केवाईसी कर रखी होती है जिसमें वह सारी जानकारी ले लेते है फिर भी आप को यह जानकारी देनी होगी जो लोग इसकी जानकारी नहीं देंगे उनका अकाउंट बंद कर दिया जाएगा जब तक की वह सारी जानकारियां उपलब्ध नहीं करा देते हैं. 30 अप्रैल तक यह केवाईसी जरूरी होगी.
डिजिटल सिग्नेचर:
आने वाले समय में डिजिटल सिग्नेचर का महत्व बढ़ने वाला है क्योंकि धीरे-धीरे हम डिजिटल इकोनॉमी की तरफ जा रहे हैं. ऑनलाइन आइडेंटिफिकेशन के लिए आपको डिजिटल सिग्नेचर की जरूरत पड़ेगी क्योंकि आप ऑनलाइन सिग्नेचर के लिए स्क्रीन पर कलम तो नहीं चला सकते. इसलिए डिजिटल सिग्नेचर का होना बहुत जरूरी है जिसके द्वारा आप ऑनलाइन सिग्नेचर कर सकते हैं.
DJ सिग्नेचर 1 साल 2 साल के लिए बनाए जाते हैं जिसमें आपको आपके अवधि के मुकदमे साबित एक सर्टिफिकेट दे दिया जाता है जोकि एक पैनड्राइव से होता है आपको इसके लिए कंप्यूटर पर पेन ड्राइव को लगाना होगा और अपना डिजिटल सिग्नेचर सिग्नेचर बॉक्स में मार्क कर देना होगा
डिजिटल सिग्नेचर कैसे बनाएं?
डिजिटल सिग्नेचर कुछ वेंडर्स के द्वारा बनाया जाता है जिन्हें सरकार की अनुमति प्राप्त होती है. इसकी लागत ₹500 से ₹700 प्रति वर्ष की होती है. अगर आप चाहें तो इसे 2 वर्ष का भी बनवा सकते हैं.
डिजिटल सिग्नेचर बनाने के लिए आप ऑनलाइन आवेदन भी सकते हैं और अपना करेक्शन फॉर्म NSDL सेंटर पर जमा करा सकते हैं.
ITR Form-1 का कैश डिपाजिट का कॉलम:
यह कॉलम उन लोगों के लिए बनाया गया है जिन्होंने नोटबंदी के दौरान अपने खाते में पैसे जमा किए थे. इस कॉलम में लिखा है कि इसमें रकम तभी भरें जब आपकी जमा की हुई रकम 2 लाख रुपए या उससे ज्यादा है. मतलब अगर आपने 8 नवंबर 2017 के बाद अपने अकाउंट में 2 लाख रुपए या उससे ज्यादा जमा किए हैं तो आपको इस का ब्यौरा सरकार को देना होगा. अगर आप की रकम दो लाख से कम है तो आपको उस कॉलम में जीरो लिखना है इसका मतलब होगा कि यह कॉलम आपके लिए उपयोगी नहीं है.
इस कॉलम में आपको कुछ-न-कुछ भरना होगा क्योंकि अगर आप इसमें कुछ नहीं भरेंगे तो फॉर्म आगे बढ़ेगा नहीं.
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