आप भी जाने अनजाने यह मानते या कहते होंगे कि हमारे पूर्वज तो साहब बंदर थे. लेकिन साहब हम तो नहीं मानते हैं कि हमारे पूर्वज बंदर थे. क्या आप विश्वास के साथ कह सकते हैं? या किसी ने आपके मन में यह बात डाल दी है कि यही सत्य है? आइए आपको बताते हैं यह बात आई कहां से?
सबसे पहले यह बात करने वाले व्यक्ति थे डार्विन जिन्होंने हमें यह बताया कि कैसे लाखों करोड़ों सालों में बंदर की पूंछ धीरे-धीरे गायब होती रही, उसकी अक्ल बढ़ती गई और वह एक बुद्धिमान प्राणी, जिसे आज के युग में इंसान कहा जाता है, बन गया. ऐसे ही उन्होंने जिराफ की गर्दन को भी लंबा कर दिया था. 'वाह रे डार्विन'.
एक बार आइंस्टीन से पूछा गया कि डार्विन कहते हैं कि हमारे पूर्वज बंदर थे क्या यह सही है? क्या आप इस बात से सहमत हैं? तो उन्होंने कहा यह बिल्कुल गलत बात अगर हमारे पूर्वज बंदर थे, तो आज भी कुछ बंदर ऐसे होने चाहिए थे जो आदमियों सरीखे हो और कुछ आदमी ऐसे होने चाहिए थे जो बंदरों से थोड़े बहुत मिलते हो लेकिन ऐसा कुछ नहीं है हमें आज तक ऐसा कोई मनुष्य मिला? जिसकी धीरे-धीरे पूंछ निकल रही हो. डॉक्टर के पास गया हो कि "सर यह देखो क्या हो रहा है मेरी तो पूंछ निकल रही है, इसका इलाज करो". एक आधा बंदर भी ऐसा दिखना चाहिए जिसकी पूंछ धीरे-धीरे छोटी हो रही हो.
हमारे पूर्वज बंदर नहीं थे हमारे पूर्वज थे वह ऋषि महात्मा दधीचि कि जब देवता उनसे अस्थियां मांगने आए तो लोगों की भलाई के लिए अपना शरीर ही दान कर दिया. कहते हैं गायों ने उनके शरीर को चाटना आरंभ किया और धीरे-धीरे उनके मांस और चमड़े का पता ही नहीं लगा और सिर्फ हड्डियां ही बच गई.
ऐसे ही महादानी रघु, असुरों का विनाश करने वाले भगवान राम, हजारों साल पहले विमान बनाने की अद्भुत परंपरा को शुरू करने वाले महर्षि भारद्वाज '0' का आविष्कार करने वाले आर्यभट्ट यह सभी हैं हमारे पूर्वज. विश्व का सारा ज्ञान इस धरती पर पैदा करने वाले वह ऋषि-मुनि हमारे पूर्वज हैं. हम भाग्यशाली हैं कि इतने महान लोग हमारे पूर्वज हैं.
जिनके पूर्वजो नहीं होते हैं वह राष्ट्र नहीं बन सकते. उदाहरण के लिए पाकिस्तान को देख लीजिए. आज पाकिस्तान अपने पूर्वजों को खोज रहा है. मोहनजोदड़ो, हड़प्पा, सिंधु घाटी सभ्यता यह सब हमारी धरोहर है. अगर हिंदुस्तान में कोई फूट ना होती, अगर हम आपस की लड़ाई में से अपनी शक्ति ना खो बैठते हैं तो 700 साल तक मुगलों ने हम पर शासन ना किया होता
सबसे पहले यह बात करने वाले व्यक्ति थे डार्विन जिन्होंने हमें यह बताया कि कैसे लाखों करोड़ों सालों में बंदर की पूंछ धीरे-धीरे गायब होती रही, उसकी अक्ल बढ़ती गई और वह एक बुद्धिमान प्राणी, जिसे आज के युग में इंसान कहा जाता है, बन गया. ऐसे ही उन्होंने जिराफ की गर्दन को भी लंबा कर दिया था. 'वाह रे डार्विन'.
एक बार आइंस्टीन से पूछा गया कि डार्विन कहते हैं कि हमारे पूर्वज बंदर थे क्या यह सही है? क्या आप इस बात से सहमत हैं? तो उन्होंने कहा यह बिल्कुल गलत बात अगर हमारे पूर्वज बंदर थे, तो आज भी कुछ बंदर ऐसे होने चाहिए थे जो आदमियों सरीखे हो और कुछ आदमी ऐसे होने चाहिए थे जो बंदरों से थोड़े बहुत मिलते हो लेकिन ऐसा कुछ नहीं है हमें आज तक ऐसा कोई मनुष्य मिला? जिसकी धीरे-धीरे पूंछ निकल रही हो. डॉक्टर के पास गया हो कि "सर यह देखो क्या हो रहा है मेरी तो पूंछ निकल रही है, इसका इलाज करो". एक आधा बंदर भी ऐसा दिखना चाहिए जिसकी पूंछ धीरे-धीरे छोटी हो रही हो.
हमारे पूर्वज बंदर नहीं थे हमारे पूर्वज थे वह ऋषि महात्मा दधीचि कि जब देवता उनसे अस्थियां मांगने आए तो लोगों की भलाई के लिए अपना शरीर ही दान कर दिया. कहते हैं गायों ने उनके शरीर को चाटना आरंभ किया और धीरे-धीरे उनके मांस और चमड़े का पता ही नहीं लगा और सिर्फ हड्डियां ही बच गई.
ऐसे ही महादानी रघु, असुरों का विनाश करने वाले भगवान राम, हजारों साल पहले विमान बनाने की अद्भुत परंपरा को शुरू करने वाले महर्षि भारद्वाज '0' का आविष्कार करने वाले आर्यभट्ट यह सभी हैं हमारे पूर्वज. विश्व का सारा ज्ञान इस धरती पर पैदा करने वाले वह ऋषि-मुनि हमारे पूर्वज हैं. हम भाग्यशाली हैं कि इतने महान लोग हमारे पूर्वज हैं.
जिनके पूर्वजो नहीं होते हैं वह राष्ट्र नहीं बन सकते. उदाहरण के लिए पाकिस्तान को देख लीजिए. आज पाकिस्तान अपने पूर्वजों को खोज रहा है. मोहनजोदड़ो, हड़प्पा, सिंधु घाटी सभ्यता यह सब हमारी धरोहर है. अगर हिंदुस्तान में कोई फूट ना होती, अगर हम आपस की लड़ाई में से अपनी शक्ति ना खो बैठते हैं तो 700 साल तक मुगलों ने हम पर शासन ना किया होता
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