जीएसटी लागू होने के बाद 81 फ़ीसदी वस्तुओं के दाम कम हो गए हैं. किंतु अगर आपको जीएसटी का फायदा लेना है तो आपको आपके खरीददारी के तौर-तरीके बदलने होंगे.
जैसे की एक ही दुकान से सारा सामान नहीं खरीदना है.
जीएसटी को लेकर बहुत से लोग दुविधा में हैं इसलिए आपको सामान खरीदने से पहले उसका वास्तविक मूल्य अलग-अलग दुकानों पर पता कर लें क्योंकि हो सकता है कई व्यापारी आपसे ज्यादा मूल्य वसूले. वाणिज्य कर आयुक्त ने अपील की है कि उपभोक्ता ₹200 से ज्यादा की खरीद पर बिल जरूर ले ले बिल मांगने से कच्चा काम करने वाले हतोत्साहित होंगे और सरकार की आय बढ़ेगी जीएसटी के तहत एंटी प्रॉफिटईयरिंग अथॉरिटी का गठन किया जाएगा जिससे की अधिक दाम वसूलने वालों को चिन्हित किया जा सके और उन पर कार्यवाही की जा सके.
जीएसटी के बाद वस्तुओं के दाम को लेकर बाजार में असमंजस का माहौल है. व्यापारी जहां स्थिति साफ न होने का हवाला दे रहे हैं वही उपभोक्ता भी यह तय नहीं कर पा रहे कि उन्हें वस्तु सही दाम पर मिल रही है या नहीं. एक ही सामान अलग-अलग दुकानों पर अलग-अलग दामों पर बेचा जा रहा है वाणिज्य कर विभाग के अधिकारी भी इस स्थिति को समझ रहे हैं परंतु कुछ नहीं कर पा रहे. उनका कहना है कि हर दुकान या व्यापारी के पीछे एक सिपाही तो लगाया नहीं जा सकता, इससे तो उपभोक्ताओं को खुद ही निपटना होगा. इसलिए खरीददारी से पहले कीमतों का सर्वेक्षण जरूर कर लें.
सरकार ने सैनिटरी नैपकिन पर जीएसटी की दर 12% रखने के फैसले को उचित ठहराया है सरकार का कहना है कि जीएसटी लागू होने पर सेनेटरी नैपकिन पर कुल टैक्स भार 13.68 प्रतिशत था इसको बनाने में जिस कच्चे माल का इस्तेमाल होता है उस पर जीएसटी की दर 12 या 18 प्रतिशत है इसके बावजूद सेनेटरी नैपकिन पर जीएसटी की दर 12% रखी गई है जो कि सर्वथा उचित है
कंपनियों द्वारा अगर अपने कर्मचारियों को साल भर में 50000 से अधिक मूल्य का उपहार दिया जाता है तो उस पर जीएसटी लागू होगा. हालांकि ₹50000 से कम राशि पर जीएसटी नहीं लगेगा. मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया है कि अगर कोई कंपनी कर्मचारियों को क्लब हैल्थ और फिटनेस सेंटर की मुफ्त सुविधा दे रही है तो उस पर जीएसटी नहीं लगेगा.
जैसे की एक ही दुकान से सारा सामान नहीं खरीदना है.
जीएसटी को लेकर बहुत से लोग दुविधा में हैं इसलिए आपको सामान खरीदने से पहले उसका वास्तविक मूल्य अलग-अलग दुकानों पर पता कर लें क्योंकि हो सकता है कई व्यापारी आपसे ज्यादा मूल्य वसूले. वाणिज्य कर आयुक्त ने अपील की है कि उपभोक्ता ₹200 से ज्यादा की खरीद पर बिल जरूर ले ले बिल मांगने से कच्चा काम करने वाले हतोत्साहित होंगे और सरकार की आय बढ़ेगी जीएसटी के तहत एंटी प्रॉफिटईयरिंग अथॉरिटी का गठन किया जाएगा जिससे की अधिक दाम वसूलने वालों को चिन्हित किया जा सके और उन पर कार्यवाही की जा सके.
जीएसटी के बाद वस्तुओं के दाम को लेकर बाजार में असमंजस का माहौल है. व्यापारी जहां स्थिति साफ न होने का हवाला दे रहे हैं वही उपभोक्ता भी यह तय नहीं कर पा रहे कि उन्हें वस्तु सही दाम पर मिल रही है या नहीं. एक ही सामान अलग-अलग दुकानों पर अलग-अलग दामों पर बेचा जा रहा है वाणिज्य कर विभाग के अधिकारी भी इस स्थिति को समझ रहे हैं परंतु कुछ नहीं कर पा रहे. उनका कहना है कि हर दुकान या व्यापारी के पीछे एक सिपाही तो लगाया नहीं जा सकता, इससे तो उपभोक्ताओं को खुद ही निपटना होगा. इसलिए खरीददारी से पहले कीमतों का सर्वेक्षण जरूर कर लें.
सरकार ने सैनिटरी नैपकिन पर जीएसटी की दर 12% रखने के फैसले को उचित ठहराया है सरकार का कहना है कि जीएसटी लागू होने पर सेनेटरी नैपकिन पर कुल टैक्स भार 13.68 प्रतिशत था इसको बनाने में जिस कच्चे माल का इस्तेमाल होता है उस पर जीएसटी की दर 12 या 18 प्रतिशत है इसके बावजूद सेनेटरी नैपकिन पर जीएसटी की दर 12% रखी गई है जो कि सर्वथा उचित है
कंपनियों द्वारा अगर अपने कर्मचारियों को साल भर में 50000 से अधिक मूल्य का उपहार दिया जाता है तो उस पर जीएसटी लागू होगा. हालांकि ₹50000 से कम राशि पर जीएसटी नहीं लगेगा. मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया है कि अगर कोई कंपनी कर्मचारियों को क्लब हैल्थ और फिटनेस सेंटर की मुफ्त सुविधा दे रही है तो उस पर जीएसटी नहीं लगेगा.
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